राहुल गांधी 2025 में मिलने वाले चुनावी आराम का कितना फायदा उठा पाएंगे?

चुनाव के हिसाब से देखें तो राहुल गांधी के लिए 2025 बेहतरीन साल है. दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, और कांग्रेस के हाथ कुछ खास नहीं लगने वाला है. न जीतने का टेंशन, न हार की परवाह और मस्ती अनलिमिटेड – राहुल को भला और क्या चाहिये.

2025 में देश भर में सिर्फ दो विधानसभाओं के लिए चुनाव होने हैं. जल्दी ही दिल्ली विधानसभा के, और साल के आखिर में बिहार चुनाव. बिहार चुनाव में काफी वक्त है, लेकिन राजनीतिक हलचल दोनो राज्यों में बराबर ही देखने को मिल रही है. 

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के लिए ये साल इसलिए भी बहुत सुखद है क्योंकि ऐसा कोई चुनाव नहीं हो रहा है, जहां कांग्रेस की हार पर सवाल उठे. और, राहुल गांधी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके. जैसे, हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार को लेकर विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक में ही राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाये जाने लगे हैं.

कुल मिलाकर देखा जाये तो साल भर मौका ऐसा है कि राहुल गांधी चाहें तो अपने सभी पसंदीदा काम कर सकते हैं – और चाहें तो लंबी छुट्टी पर भी जा सकते हैं, क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा के बाद से अब तक ऐसा मौका उनको मिला भी नहीं है. 

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1. INDIA ब्लॉक में अपनी पोजीशन मजबूत करने का सबसे बड़ा मौका

दिल्ली और बिहार दोनो ही चुनाव इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए, और बिहार में आरजेडी के लिए.

दिल्ली में तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मैदान में आमने सामने है, और जिस तरीके से लालू यादव ने इंडिया ब्लॉक का नेता बनाने के लिए ममता बनर्जी को सपोर्ट किया है, क्या पता चुनाव आने तक आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन भी टूट जाये. 

संसद के शीतकालीन सत्र में ही कांग्रेस को लेकर विपक्षी नेताओं के दो रूप देखने को मिले. अडानी के मुद्दे जहां कांग्रेस अकेले पड़ गई थी, आंबेडकर के मुद्दे पर करीब करीब पूरा विपक्ष साथ नजर आया है – राहुल गांधी के पास पूरा मौका है कि वो जैसे भी संभव हो सके विपक्षी खेमे में कांग्रेस की भूमिका को प्रभावी बना दें. 

2. चुनावों में हर एक्सपेरिमेंट का बेहतरीन मौका है

राहुल गांधी चाहें तो चुनावों में हर तरह के प्रयोग आजमा लें, क्योंकि नतीजों से तो बहुत फर्क पड़ने वाला है नहीं – और कुछ नहीं तो कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने वाले उपाय तो कर ही सकते हैं.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सावरकर का मुद्दा मुहैया करा ही दिया है – और बिहार विधानसभा चुनाव के हिसाब से देखें तो पप्पू यादव मैदान में कूद ही पड़े हैं. 

पटना में छात्रों के आंदोलन में पप्पू यादव तो प्रशांत किशोर की समानांतर भूमिका में नजर आ रहे हैं. अभी ये साफ नहीं है कि पप्पू यादव और प्रशांत किशोर ये सब अपने लिए ही कर रहे हैं या किसी और राजनीतिक दल के लिए. 

प्रशांत किशोर का तो अभी नहीं मालूम, लेकिन पप्पू यादव तो फिलहाल कांग्रेस के साथ और बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी आरजेडी के खिलाफ ही माने जाएंगे. 

बीजेपी और नीतीश कुमार को छोड़ दें, तो प्रशांत किशोर और पप्पू यादव की वजह से नुकसान तो लालू और तेजस्वी यादव को ही होना है. 

3. लंबी छुट्टी पर चले जाने का शानदार मौका है

बहुत दिनों से राहुल गांधी को लंबी छुट्टी पर जाते नहीं देखा गया है. पहले तो अक्सर ही विदेश यात्रा पर निकल जाया करते थे. कई बार तो चुनाव प्रचार के बीच में ही चले जाते थे – लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के बाद से वो लगातार सड़क से संसद तक की राजनीति में डटे हुए देखे गये हैं.  

ये साल तो राहुल गांधी को लंबी छुट्टी पर जाने का भी शानदार मौका दे रहा है. 

4. मोहब्बत की दुकान की जोरदार पब्लिसिटी का मौका

राहुल गांधी का आरोप रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी देश भर में लोगों के बीच नफरत फैला रहे हैं – और उसके खिलाफ वो मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करते रहे हैं.

ये साल इस काम के लिए पूरी तरह माकूल मौका दे रहा है. राहुल गांधी पूरे इत्मीनान से अपनी मोहब्बत की दुकान की पूरे साल पब्लिसिटी कर सकते हैं.  

6. भारत जोड़ो जैसी किसी नई यात्रा के लिए उचित मौका

कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई तक न्याय यात्रा भी पूरी कर चुके हैं – ऐसे कार्यक्रम बनाकर अंजाम तक पहुंचाने के लिए ये साल पूरा वक्त दे रहा है.
अगर राहुल गांधी पूरे साल देश भर में यात्रा करना चाहें तो बड़े आराम से मिशन पूरा कर सकते हैं. 

7. हर तरह के पसंदीदा काम निबटाने का आखिरी मौका

2025 के बाद हर साल किसी न किसी राज्य के विधानसभा चुनाव होंगे, और देखते ही देखते 2029 के आम चुनाव का भी वक्त हो जाएगा – देखा जाये तो राहुल गांधी के पास अपने सारे पसंदीदा काम पूरा करने का ये आखिरी मौका लगता है, क्योंकि फिर तो सांस लेने की भी फुर्सत नहीं होगी.  

आखिरी मौका इसलिए भी क्योंकि, 2026 में कई राज्यों में विधानसभा के लिए चुनाव होने वाले हैं – जिनमें कांग्रेस के लिए केरल विधानसभा चुनाव काफी अहम लगता है. वायनाड से सांसद बनने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी केरल की राजनीति में दाखिला ले चुकी हैं. 

2021 के केरल चुनाव में भी राहुल गांधी खासे एक्टिव देखे गये थे. कांग्रेस नेता के बयानों से लेकर तमाम एक्टिविटी की चुनावों के दौरान खूब चर्चा हुई थी. 

राहुल गांधी ने तब उत्तर भारत के लोगों की तुलना में दक्षिण भारत के लोगों की राजनीतिक समझ को बेहतर बताया था. केरल में मछुआरों के साथ नदी में नाव पर राहुल गांधी की ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की गईं जैसे वो किसी बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हों. केरल के साथ साथ तमिलनाडु, असम और पश्चिम बंगाल में भी विधानसभा के चुनाव होंगे. राहुल गांधी चाहें तो पहले से ही आगे की चुनावी रणनीति और एक्शन प्लान तैयार कर सकते हैं. 

अगर इंडिया ब्लॉक की भी परवाह न हो तो सावरकर या अडानी का मुद्दा, या फिर जो भी मुद्दे ठीक लगे, राहुल गांधी अलग अलग तरीके से उठा सकते हैं – और जिस तरह से संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रियंका गांधी के साथ रचनात्मक तरीके से विरोध प्रदर्शन करते रहे, पूरे साल ये सब करने का अवसर मिल रहा है. 

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